International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंधों) All Important Concepts
Anarchy (अराजकता)
* मूल अवधारणा: यह कई अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR) सिद्धांतों, विशेष रूप से यथार्थवाद, की मूलभूत धारणा है। इसका मतलब अव्यवस्था नहीं, बल्कि राष्ट्र-राज्यों के ऊपर किसी केंद्रीय वैश्विक सत्ता का अभाव है। नियमों को लागू करने के लिए कोई विश्व सरकार नहीं है।
* निहितार्थ: इस आत्म-सहायता (self-help) प्रणाली में, राज्य अंततः अपनी सुरक्षा और अस्तित्व के लिए स्वयं जिम्मेदार होते हैं। यह सुरक्षा दुविधा (security dilemma) को जन्म देता है, जहाँ एक राज्य द्वारा अपनी सुरक्षा बढ़ाने के प्रयास (जैसे, अपनी सेना का निर्माण) दूसरे राज्यों को कम सुरक्षित महसूस कराते हैं, जिससे वे भी हथियार जमा करने लगते हैं, और यह हथियारों की होड़ की ओर ले जाता है।
* आलोचना: उदारवादी अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, कानूनों और मानदंडों के जाल की ओर इशारा करते हैं जो शुद्ध अराजकता को कम करते हैं। रचनावादी (Constructivists) तर्क देते हैं कि अराजकता "वह है जो राज्य इसे बनाते हैं" - इसका अर्थ निश्चित नहीं है, बल्कि साझा विचारों और अंतःक्रियाओं से आकार लेता है।
Balance of Power (शक्ति संतुलन)
* मूल अवधारणा: यह एक सिद्धांत और एक नीति है जिसका उद्देश्य किसी भी एक राज्य को बहुत अधिक প্রভাবশালী (hegemonic) बनने से रोकना है। यह अराजकता के तहत स्थिरता बनाए रखने का एक केंद्रीय तंत्र है।
* यह कैसे काम करता है: कमजोर राज्य किसी खतरे का मुकाबला करने के लिए गठबंधन (संतुलन/balancing) बनाएंगे या बढ़ती शक्ति के साथ जुड़ जाएंगे (बैंडवैगनिंग/bandwagoning)। यह आंतरिक रूप से (सैन्य/आर्थिक शक्ति का निर्माण करके) या बाहरी रूप से (गठबंधन बनाकर) हो सकता है।
* उदाहरण: शीत युद्ध, जहाँ नाटो (NATO) और वारसॉ संधि (Warsaw Pact) ने एक-दूसरे को संतुलित किया।
* आधुनिक प्रासंगिकता: उभरते चीन को कैसे संतुलित किया जाए, इस पर सवाल उठते हैं। क्या क्वाड (Quad - अमेरिका, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया) संतुलन का एक रूप है?
Climate Change (जलवायु परिवर्तन)
* मूल अवधारणा: यह एक सर्वोत्कृष्ट वैश्विक साझा संसाधन (global commons) की समस्या और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक सर्वोच्च चुनौती है। कोई भी एक देश इसे अकेले हल नहीं कर सकता है, लेकिन हर देश के पास दूसरों के प्रयासों पर "मुफ्त सवारी (free-ride)" करने का प्रोत्साहन होता है। 🌍
* IR चुनौतियाँ:
* सामूहिक कार्रवाई की समस्या (Collective Action Problem): इसे ट्रेजेडी ऑफ द कॉमन्स (Tragedy of the Commons) द्वारा समझाया गया है।
* समानता बनाम जिम्मेदारी: ऐतिहासिक उत्सर्जक (विकसित राष्ट्र) बनाम विकास की तलाश कर रहे उभरते अर्थव्यवस्थाएं (भारत, चीन)।
* संप्रभुता: इसके लिए राज्यों को अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के लिए कुछ नीतिगत स्वायत्तता छोड़नी पड़ती है।
* प्रमुख समझौते: UNFCCC, क्योटो प्रोटोकॉल, पेरिस समझौता।
Constructivism (रचनावाद)
* मूल अवधारणा: यह अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का एक प्रमुख सिद्धांत है जो तर्क देता है कि वैश्विक राजनीति के महत्वपूर्ण पहलू भौतिक शक्ति से नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से निर्मित (Socially Constructed) होते हैं। राज्यों के हित और पहचान निश्चित नहीं हैं, बल्कि वे विचारों (Ideas), मानदंडों (Norms) और आपसी बातचीत (Interactions) से आकार लेते हैं।
* मुख्य विचार: यथार्थवादियों के विपरीत, जो अराजकता को एक दी गई संरचना के रूप में देखते हैं, रचनावादी कहते हैं कि "अराजकता वह है जो राज्य इसे बनाते हैं।" उदाहरण के लिए, अमेरिका कनाडा के 500 परमाणु हथियारों से नहीं डरता, लेकिन उत्तर कोरिया के 5 हथियारों से डरता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिका और कनाडा की साझा पहचान और इतिहास उन्हें दोस्त के रूप में परिभाषित करता है।
* प्रभाव: इस सिद्धांत ने मानवाधिकारों, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और पहचान की राजनीति जैसे विषयों के अध्ययन को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में केंद्रीय बना दिया है।
Containment (रोकथाम की नीति)
* मूल अवधारणा: यह शीत युद्ध के दौरान अमेरिकी राजनयिक जॉर्ज एफ. केनन (George F. Kennan) द्वारा विकसित एक विदेश नीति थी। इसका मुख्य लक्ष्य सोवियत संघ (USSR) के साम्यवादी प्रभाव को उसके मौजूदा सीमाओं से आगे फैलने से रोकना था।
* क्रियान्वयन: इसे सैन्य गठबंधनों (जैसे नाटो), आर्थिक सहायता (मार्शल योजना), और परोक्ष युद्धों (जैसे कोरिया और वियतनाम में) के माध्यम से लागू किया गया था। यह सीधा सैन्य टकराव टालने और सोवियत संघ को आंतरिक रूप से कमजोर होने तक "रोककर" रखने की एक दीर्घकालिक रणनीति थी।
* विरासत: हालांकि शीत युद्ध समाप्त हो गया है, "रोकथाम" की भाषा और तर्क का उपयोग आज भी अन्य शक्तियों, विशेष रूप से चीन के उदय, के संबंध में किया जाता है।
Deterrence (निवारण)
* मूल अवधारणा: यह एक सैन्य रणनीति है जिसमें एक पक्ष, दूसरे पक्ष को किसी अवांछित कार्रवाई से रोकने के लिए, जवाबी कार्रवाई की धमकी का उपयोग करता है। इसका लक्ष्य युद्ध को जीतना नहीं, बल्कि उसे शुरू होने से रोकना है। 🚀
* यह कैसे काम करता है: निवारण के सफल होने के लिए, धमकी को विश्वसनीय (Credible) होना चाहिए और इसे स्पष्ट रूप से संवाद (Communicated) किया जाना चाहिए। इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण परमाणु निवारण (Nuclear Deterrence) है, जहाँ परमाणु हथियार संपन्न देश पारस्परिक सुनिश्चित विनाश (Mutually Assured Destruction - MAD) के डर से एक-दूसरे पर हमला करने से बचते हैं।
* आधुनिक प्रासंगिकता: यह सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है, खासकर भारत-पाकिस्तान, अमेरिका-रूस और अमेरिका-चीन के परमाणु संबंधों में।
Diplomacy (कूटनीति)
* मूल अवधारणा: यह शासन कला (statecraft) का प्राथमिक साधन है; शांतिपूर्ण बातचीत, संवाद और प्रतिनिधित्व के माध्यम से राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने की कला।
* कार्य: अन्य सरकारों के साथ संवाद करना, खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, समझौतों पर बातचीत करना, विवादों को सुलझाना और सॉफ्ट पावर का प्रदर्शन करना।
* विकास: 19वीं सदी की गुप्त संधियों से लेकर आज की "बहु-हितधारक (multistakeholder)" कूटनीति तक, जिसमें गैर-सरकारी संगठन (NGOs), निगम और संयुक्त राष्ट्र जैसे खुले मंच शामिल हैं।
* महत्व: यह विदेश नीति का पहला और सबसे सस्ता उपकरण है, जो संघर्ष से बचने के लिए आवश्यक है।
Economic Statecraft (आर्थिक शासन कला)
* मूल अवधारणा: विदेश नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए (सैन्य के बजाय) आर्थिक साधनों का उपयोग।
* उपकरण:
* सकारात्मक: विदेशी सहायता, निवेश, व्यापार सौदे, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों (IMF, विश्व बैंक) में सदस्यता।
* नकारात्मक: प्रतिबंध (sanctions), टैरिफ, व्यापार प्रतिबंध (embargoes), निवेश पर रोक।
* आधुनिक उपयोग: प्रतिबंध पश्चिमी शक्तियों का पसंदीदा उपकरण हैं (जैसे, रूस, ईरान के खिलाफ)। चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का उपयोग प्रभाव बनाने के लिए सकारात्मक आर्थिक शासन कला के रूप में करता है।
Feminism (in IR) (नारीवाद - अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में)
* मूल अवधारणा: एक आलोचनात्मक सिद्धांत जो यह जांचता है कि अंतर्राष्ट्रीय संबंध किस प्रकार लैंगिक (gendered) हैं। यह तर्क देता है कि पारंपरिक IR पर मर्दाना दृष्टिकोण का प्रभुत्व है, जो शक्ति, संप्रभुता और संघर्ष को प्राथमिकता देता है (एक "पुरुषों की दुनिया")।
* मुख्य प्रश्न:
* वैश्विक राजनीति में लैंगिक पदानुक्रम कैसे बनाए जाते हैं?
* युद्ध महिलाओं को अलग तरह से कैसे प्रभावित करता है?
* क्या अधिक महिला नेताओं वाली दुनिया अधिक शांतिपूर्ण होगी?
* प्रभाव: इसने शांति प्रक्रियाओं में महिलाओं को शामिल करने (UNSCR 1325) और नीति के लैंगिक प्रभावों का विश्लेषण करने पर जोर दिया है।
Geopolitics (भू-राजनीति)
* मूल अवधारणा: यह इस बात का अध्ययन है कि भूगोल (Geography) (स्थान, आकार, स्थलाकृति, प्राकृतिक संसाधन) राज्यों की विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को कैसे प्रभावित करता है। यह मानता है कि किसी देश की भौगोलिक स्थिति उसकी नियति को आकार देने में एक महत्वपूर्ण कारक है।
* उदाहरण: ब्रिटेन और जापान का द्वीप राष्ट्र होना उनकी मजबूत नौसैनिक शक्तियों का एक कारण रहा है। रूस की गर्म पानी के बंदरगाहों तक पहुंच की ऐतिहासिक खोज उसकी विस्तारवादी नीति को समझने में मदद करती है।
* आधुनिक प्रासंगिकता: यह अवधारणा आज भी बहुत महत्वपूर्ण है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का उदय, आर्कटिक में संसाधनों पर होड़, और मध्य पूर्व में ऊर्जा मार्गों पर नियंत्रण, ये सभी भू-राजनीतिक मुद्दे हैं।
Globalisation (वैश्वीकरण)
* मूल अवधारणा: दुनिया भर के लोगों, कंपनियों और सरकारों के बीच संपर्क और एकीकरण की प्रक्रिया। यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, निवेश और सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित है।
* IR पर प्रभाव:
* बढ़ी हुई अन्योन्याश्रयता (Interdependence): राज्य कम आत्मनिर्भर हैं, जिससे संघर्ष अधिक महंगा हो जाता है।
* संप्रभुता का क्षरण: पूंजी और सूचना आसानी से सीमाओं के पार बहती है, जिससे राज्य का नियंत्रण सीमित हो जाता है।
* गैर-राज्य कर्ताओं का उदय: बहुराष्ट्रीय निगमों (MNCs) और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के पास अपार शक्ति है।
* प्रतिक्रिया: 2010 के दशक में वैश्वीकरण के खिलाफ लोकलुभावन, राष्ट्रवादी प्रतिक्रिया में वृद्धि देखी गई (जैसे, ट्रम्प, ब्रेक्जिट)।
Hegemony / Hegemonic Stability Theory (आधिपत्य / आधिपत्य स्थिरता सिद्धांत)
* मूल अवधारणा: किसी एक राज्य (अधिनायक/hegemon) द्वारा रखी गई शक्ति (सैन्य, आर्थिक, सांस्कृतिक) की प्रबलता।
* आधिपत्य स्थिरता सिद्धांत: यह तर्क देता है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली तब सबसे स्थिर होती है जब सार्वजनिक वस्तुएं (जैसे, सुरक्षित समुद्री मार्ग, एक आरक्षित मुद्रा) प्रदान करने के लिए एक ही अधिनायक हो।
* उदाहरण: पैक्स ब्रिटानिका (19वीं शताब्दी) और पैक्स अमेरिकाना (द्वितीय विश्व युद्ध के बाद)। अमेरिका ने ब्रेटन वुड्स प्रणाली (IMF, विश्व बैंक) बनाई और वैश्विक सुरक्षा की गारंटी दी।
* बहस: क्या अमेरिकी आधिपत्य घट रहा है? और यदि हां, तो आगे क्या होगा? एक नई द्विध्रुवीयता (अमेरिका बनाम चीन) या एक बहुध्रुवीय दुनिया?
Interdependence (अन्योन्याश्रयता)
* मूल अवधारणा: यह वह स्थिति है जिसमें राज्य एक-दूसरे पर पारस्परिक रूप से निर्भर होते हैं। एक देश में होने वाली घटनाएं और निर्णय दूसरे देशों को प्रभावित करते हैं। वैश्वीकरण ने इसे और तेज कर दिया है। 🌐
* कॉम्प्लेक्स इंटरडिपेंडेंस (Complex Interdependence): रॉबर्ट केओहेन और जोसेफ नाई द्वारा विकसित यह विचार कहता है कि आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में राज्यों के बीच कई चैनल होते हैं, सुरक्षा के अलावा कई मुद्दे एजेंडे पर होते हैं, और सैन्य बल का उपयोग कम प्रभावी होता है।
* निहितार्थ: उदारवादी सिद्धांतकारों का तर्क है कि उच्च स्तर की आर्थिक अन्योन्याश्रयता राज्यों के बीच युद्ध की लागत को बढ़ा देती है, जिससे शांति को बढ़ावा मिलता है।
International Law (अंतर्राष्ट्रीय कानून)
* मूल अवधारणा: नियमों और मानदंडों का वह समूह जो राज्यों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय कर्ताओं को बांधता है। इसमें एक केंद्रीय प्रवर्तन तंत्र का अभाव है, और यह राज्य की सहमति, पारस्परिकता और वैधता पर निर्भर करता है।
* स्रोत: संधियाँ, प्रथागत अभ्यास, कानून के सामान्य सिद्धांत।
* चुनौती: शक्तिशाली राज्य अक्सर अंतर्राष्ट्रीय कानून तोड़ते हैं जब यह उनके मूल हितों के अनुकूल होता है (जैसे, 2003 में अमेरिका का इराक पर आक्रमण, 2022 में रूस का यूक्रेन पर आक्रमण), जिससे पाखंड के आरोप लगते हैं और व्यवस्था कमजोर होती है।
Just War Theory (Jus ad Bellum, Jus in Bello) (न्यायसंगत युद्ध सिद्धांत)
* मूल अवधारणा: युद्ध को उचित ठहराने और उसे नैतिक रूप से संचालित करने के लिए एक दार्शनिक ढाँचा। इसे दो भागों में बांटा गया है:
* Jus ad Bellum (युद्ध में जाने का अधिकार): न्यायसंगत कारण, सही इरादा, वैध प्राधिकारी, अंतिम उपाय।
* Jus in Bello (युद्ध में सही आचरण): भेद (लड़ाकों और नागरिकों के बीच), आनुपातिकता (उपयोग किए गए बल में)।
* आधुनिक अनुप्रयोग: मानवीय हस्तक्षेप, ड्रोन हमलों और साइबर युद्ध की नैतिकता पर बहस करने के लिए उपयोग किया जाता है।
Kantian Peace (Democratic Peace Theory) (कांटियन शांति / लोकतांत्रिक शांति सिद्धांत)
* मूल अवधारणा: दार्शनिक इम्मैनुएल कांट से प्रेरित सिद्धांत, कि लोकतंत्र एक-दूसरे के साथ युद्ध नहीं करते हैं।
* कारण: शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान के साझा मानदंड; संस्थागत बाधाएं (नेता जनमत के प्रति जवाबदेह); आर्थिक अन्योन्याश्रयता।
* सबूत: मजबूत अनुभवजन्य समर्थन—दो परिपक्व लोकतंत्रों के बीच युद्ध का कोई स्पष्ट ऐतिहासिक मामला नहीं है।
* चेतावनी: लोकतंत्र अक्सर गैर-लोकतंत्रों से लड़ते हैं।
Liberal Internationalism (उदारवादी अंतर्राष्ट्रीयतावाद)
* मूल अवधारणा: एक विदेश नीति का दृष्टिकोण जो मानता है कि संस्थानों और नियमों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, अराजकता को दूर करने और एक अधिक शांतिपूर्ण, समृद्ध दुनिया बनाने में मदद कर सकता है।
* लक्ष्य: लोकतंत्र, मुक्त व्यापार, मानवाधिकार और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को बढ़ावा देना। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की "नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था" के पीछे की विचारधारा है।
* वर्तमान स्थिति: अनुदार शक्तियों (चीन, रूस) के उदय और पश्चिम में लोकलुभावन राष्ट्रवाद के कारण गंभीर तनाव में है।
Mercantilism (वणिकवाद)
* मूल अवधारणा: एक आर्थिक सिद्धांत और व्यवहार जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को एक शून्य-योग खेल (zero-sum game) के रूप में देखता है। इसका लक्ष्य धन और राष्ट्रीय शक्ति जमा करने के लिए निर्यात को अधिकतम करना और आयात को न्यूनतम करना है।
* आधुनिक रूप: आर्थिक राष्ट्रवाद, संरक्षणवाद, और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए टैरिफ और सब्सिडी का उपयोग।
* उदाहरण: राष्ट्रपति ट्रम्प के तहत अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध एक क्लासिक वणिकवादी संघर्ष था।
Non-State Actors (गैर-राज्य कर्ता)
* मूल अवधारणा: वे संस्थाएं जो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में भाग लेती हैं लेकिन राज्य नहीं हैं। उनकी शक्ति और प्रभाव में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है।
* प्रकार:
* अंतर-सरकारी संगठन (IGOs): संयुक्त राष्ट्र, नाटो, आईएमएफ।
* गैर-सरकारी संगठन (NGOs): एमनेस्टी इंटरनेशनल, रेड क्रॉस।
* बहुराष्ट्रीय निगम (MNCs): एप्पल, शेल - उनका राजस्व कई देशों की जीडीपी को बौना कर सकता है।
* हिंसक गैर-राज्य कर्ता: आतंकवादी समूह (अल-कायदा, आईएसआईएस), आपराधिक कार्टेल।
Offence-Defence Theory (आक्रामक-रक्षात्मक सिद्धांत)
* मूल अवधारणा: एक सिद्धांत जिसके अनुसार युद्ध की संभावना तब अधिक होती है जब राज्यों का मानना है कि आक्रामक सैन्य अभियानों को रक्षात्मक अभियानों पर लाभ होता है।
* यदि विजय आसान है (आक्रामक लाभ): राज्य अधिक आक्रामक होते हैं, और सुरक्षा दुविधाएं तीव्र होती हैं (जैसे, 1914 में यूरोप)।
* यदि विजय कठिन है (रक्षात्मक लाभ): सुरक्षा पाना आसान होता है, और प्रणाली अधिक स्थिर होती है।
* आधुनिक अनुप्रयोग: साइबर और अंतरिक्ष डोमेन पर लागू।
Polarity (Uni-, Bi-, Multi-) (ध्रुवीयता - एक-, द्वि-, बहु-)
* मूल अवधारणा: अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में शक्ति का वितरण, जिसे महाशक्तियों की संख्या से परिभाषित किया जाता है।
* एकध्रुवीयता (Unipolarity): एक प्रमुख अधिनायक (जैसे, शीत युद्ध के बाद अमेरिका)।
* द्विध्रुवीयता (Bipolarity): दो महाशक्तियाँ एक-दूसरे को संतुलित करती हैं (जैसे, शीत युद्ध के दौरान अमेरिका बनाम यूएसएसआर)।
* बहुध्रुवीयता (Multipolarity): लगभग समान शक्ति वाली कई प्रमुख शक्तियाँ (जैसे, प्रथम विश्व युद्ध से पहले यूरोप)।
* महान बहस: दुनिया अमेरिकी एकध्रुवीयता से एक नए युग में परिवर्तित हो रही है, जो या तो द्विध्रुवीय (अमेरिका बनाम चीन) या बहुध्रुवीय (रूस, भारत, यूरोपीय संघ सहित) होगा।
Quad (क्वाड - चतुर्भुज सुरक्षा संवाद)
* मूल अवधारणा: संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया को मिलाकर एक रणनीतिक मंच। यह हिंद-प्रशांत में चीन के उदय की प्रतिक्रिया में सॉफ्ट बैलेंसिंग (soft balancing) का एक प्रमुख उदाहरण है।
* लक्ष्य: यह नाटो की तरह एक औपचारिक सैन्य गठबंधन नहीं है। यह समन्वय पर केंद्रित है: समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढांचा, और आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना। इसका उद्देश्य "स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत" को बनाए रखना है।
* महत्व: यह दर्शाता है कि मध्यम शक्तियाँ एक रणनीतिक चुनौती का प्रबंधन करने के लिए एक महाशक्ति के साथ कैसे साझेदारी कर रही हैं।
Realism (यथार्थवाद)
* मूल अवधारणा: IR विचार का प्रमुख स्कूल। यह राज्यों को एक अराजक प्रणाली में प्रमुख कर्ताओं के रूप में देखता है, जो मुख्य रूप से अपने अस्तित्व के लिए चिंतित हैं और शक्ति और सुरक्षा को अधिकतम करने के लिए तर्कसंगत खिलाड़ियों के रूप में कार्य करते हैं।
* प्रमुख विचारक: थ्यूसीडाइड्स, मैकियावेली, हॉब्स, मोर्गेंथाऊ।
* मूल सिद्धांत: अराजकता, राज्य-केंद्रितता, अस्तित्व, आत्म-सहायता, और सैन्य/आर्थिक शक्ति की प्रधानता।
* प्रकार:
* शास्त्रीय यथार्थवाद: मानव स्वभाव (शक्ति की लालसा) द्वारा संचालित।
* नव-यथार्थवाद/संरचनात्मक यथार्थवाद (वाल्ट्ज): अराजक प्रणाली की संरचना द्वारा संचालित।
Responsibility to Protect (R2P) (सुरक्षा का उत्तरदायित्व)
* मूल अवधारणा: 2005 में संयुक्त राष्ट्र में अपनाया गया एक वैश्विक राजनीतिक सिद्धांत। यह मानता है कि संप्रभुता एक अधिकार के साथ-साथ एक जिम्मेदारी भी है। प्रत्येक राज्य का यह उत्तरदायित्व है कि वह अपनी आबादी को सामूहिक अत्याचारों (नरसंहार, युद्ध अपराध, जातीय सफाई) से बचाए।
* निहितार्थ: यदि कोई राज्य अपनी आबादी की रक्षा करने में "असमर्थ या अनिच्छुक" है, तो यह जिम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर आ जाती है, जो राजनयिक, मानवीय और "अन्य शांतिपूर्ण साधनों" का उपयोग कर सकता है। अंतिम उपाय के रूप में, इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अधिकृत सैन्य हस्तक्षेप भी शामिल हो सकता है।
* आलोचना: इस सिद्धांत की आलोचना की जाती है कि यह शक्तिशाली देशों द्वारा कमजोर देशों में हस्तक्षेप करने का एक बहाना हो सकता है, जैसा कि 2011 में लीबिया में हस्तक्षेप के मामले में देखा गया था।
Soft Power vs. Hard Power (सॉफ्ट पावर बनाम हार्ड पावर)
* मूल अवधारणा: यह राज्य द्वारा प्रभाव डालने के दो अलग-अलग तरीकों का वर्णन करता है, जिसे जोसेफ नाई (Joseph Nye) ने लोकप्रिय बनाया।
* हार्ड पावर (Hard Power): यह बल या प्रलोभन के माध्यम से दूसरों के व्यवहार को बदलने की क्षमता है। इसके उपकरण सैन्य बल और आर्थिक प्रतिबंध हैं। यह "छड़ी और गाजर" (carrot and stick) की नीति है। 🥕
* सॉफ्ट पावर (Soft Power): यह बल या भुगतान के बजाय आकर्षण और अनुनय के माध्यम से अपने वांछित परिणाम प्राप्त करने की क्षमता है। इसके स्रोत संस्कृति, राजनीतिक मूल्य और विदेश नीतियां हैं। 🎨
* आधुनिक प्रासंगिकता: सबसे प्रभावी देश अक्सर दोनों का संयोजन (स्मार्ट पावर/Smart Power) उपयोग करते हैं।
Sovereignty (संप्रभुता)
* मूल अवधारणा: यह सिद्धांत कि एक राज्य को अपनी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर पूर्ण अधिकार और कानूनी समानता प्राप्त है। यह आधुनिक राज्य प्रणाली का आयोजन सिद्धांत है, जिसे वेस्टफेलिया की शांति (1648) द्वारा स्थापित किया गया था।
* संप्रभुता की दुविधा: आधुनिक IR में मुख्य तनाव अहस्तक्षेप (non-interference) (एक राज्य का अपने मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार) और सुरक्षा का उत्तरदायित्व (R2P) (सामूहिक अत्याचारों को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का कर्तव्य) के बीच है।
* क्षरण: वैश्वीकरण, अंतर्राष्ट्रीय कानून और मानवाधिकार मानदंड लगातार पूर्ण संप्रभुता को चुनौती दे रहे हैं।
Thucydides's Trap (थ्यूसीडाइड्स ट्रैप)
* मूल अवधारणा: ग्राहम एलिसन द्वारा गढ़ा गया एक शब्द जो युद्ध की उस प्रवृत्ति का वर्णन करता है जब कोई उभरती हुई शक्ति किसी स्थापित शक्ति को विस्थापित करने का खतरा पैदा करती है।
* उत्पत्ति: पेलोपोनेसियन युद्ध के थ्यूसीडाइड्स के इतिहास से: "यह एथेंस का उदय और स्पार्टा में पैदा हुआ डर था जिसने युद्ध को अपरिहार्य बना दिया।"
* आधुनिक अनुप्रयोग: अमेरिका-चीन संबंधों का विश्लेषण करने के लिए केंद्रीय ढाँचा।
* आलोचना: यह नियतिवादी है और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष से बचने की नेताओं की क्षमता की अनदेखी करता है।
United Nations (UN) (संयुक्त राष्ट्र)
* मूल अवधारणा: दुनिया का प्राथमिक बहुपक्षीय संगठन, जिसकी स्थापना 1945 में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए की गई थी।
* संरचना और शक्ति:
* महासभा (General Assembly): "दुनिया का टाउन हॉल" - सभी 193 सदस्य, प्रत्येक का एक वोट।
* सुरक्षा परिषद (Security Council): 15 सदस्यों वाली शक्तिशाली कार्यकारी संस्था। 5 स्थायी सदस्यों (P5: अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन) के पास वीटो शक्ति है, जो अक्सर गतिरोध की ओर ले जाती है।
* मूल्यांकन: वीटो के कारण अप्रभावी और अलोकतांत्रिक होने के लिए आलोचना की जाती है। हालांकि, इसकी विशेष एजेंसियां (WHO, UNICEF, WFP) अमूल्य कार्य करती हैं।
Virtual States & Cyber Warfare (वर्चुअल स्टेट्स और साइबर युद्ध)
* मूल अवधारणा: संघर्ष और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के एक नए डोमेन के रूप में साइबरस्पेस का उदय।
* IR के लिए चुनौतियाँ:
* आरोपण (Attribution): साइबर हमले के स्रोत का पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है।
* तनाव बढ़ना (Escalation): साइबरस्पेस में क्या युद्ध का कार्य माना जाता है, इस पर स्पष्ट मानदंडों का अभाव।
* विषमता (Asymmetry): छोटे राज्य या गैर-राज्य कर्ता भी बड़ी शक्तियों के लिए महत्वपूर्ण खतरा पैदा कर सकते हैं।
Wilsonianism (विल्सनवाद)
* मूल अवधारणा: अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन का दुनिया को "लोकतंत्र के लिए सुरक्षित" बनाने का आदर्शवादी दृष्टिकोण, जो सामूहिक सुरक्षा और आत्मनिर्णय के माध्यम से था, और जो उनके चौदह सूत्रीय कार्यक्रम और असफल राष्ट्र संघ (League of Nations) में परिणत हुआ।
* विरासत: बाद के उदारवादी अंतर्राष्ट्रीयतावाद और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की व्यवस्था के लिए मूलभूत विचारधारा।
Xenophobia & Nationalism (ज़ेनोफोबिया और राष्ट्रवाद)
* मूल अवधारणा: हालांकि यह एक औपचारिक IR सिद्धांत नहीं है, पहचान, राष्ट्रवाद और "दूसरे" के डर की राजनीति विदेश नीति के शक्तिशाली चालक हैं।
* प्रभाव: यह संरक्षणवाद, अलगाववाद, आप्रवासन विरोधी नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष को जन्म दे सकता है।
* IR कनेक्शन: रचनावादी सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि राष्ट्रीय पहचान विश्व मंच पर एक राज्य के हितों और व्यवहार को कैसे आकार देती है।
Yalta Conference (याल्टा सम्मेलन)
* मूल अवधारणा: चर्चिल, रूजवेल्ट और स्टालिन के बीच 1945 की बैठक जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की विश्व व्यवस्था की योजना बनाई। यह प्रभाव क्षेत्रों (spheres of influence) का प्रतीक बन गया है।
* परिणाम: यूरोप को पश्चिमी और सोवियत क्षेत्रों में विभाजित किया, एक विभाजन जो लौह आवरण (Iron Curtain) और शीत युद्ध की द्विध्रुवीय संरचना में ठोस हो गया।
* आधुनिक प्रासंगिकता: "प्रभाव क्षेत्र" का तर्क आज भी रूस जैसी शक्तियों द्वारा अपनी विदेश नीति को सही ठहराने के लिए उपयोग किया जाता है।
Zero-Sum Game (शून्य-योग खेल)
* मूल अवधारणा: अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक ऐसी स्थिति जहाँ एक राज्य का लाभ आवश्यक रूप से दूसरे राज्य की हानि है। पारस्परिक लाभ की कोई संभावना नहीं है।
* विपरीत: एक सकारात्मक-योग खेल (positive-sum game) (जहाँ सभी कर्ता लाभ उठा सकते हैं, जैसे, मुक्त व्यापार) या एक नकारात्मक-योग खेल (negative-sum game) (जहाँ सभी हारते हैं, जैसे, एक युद्ध)।
* संबंधित: यथार्थवादी विचार, वणिकवाद और महाशक्ति प्रतिस्पर्धा।
