अर्थव्यवस्थाओं का वर्गीकरण

अर्थव्यवस्थाओं का वर्गीकरण:

  • प्राथमिक क्षेत्र
  • द्वितीयक क्षेत्र
  • तृतीयक क्षेत्र

प्राथमिक क्षेत्र

प्राथमिक क्षेत्र में वे सभी आर्थिक गतिविधियाँ शामिल हैं जो प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और उनके रूपांतरण से संबंधित हैं। इस क्षेत्र में शामिल प्रमुख गतिविधियाँ हैं:

  • कृषि
  • वन्यजीवन संग्रह
  • मछली पकड़ना
  • खनन
  • ऊर्जा उत्पादन
प्राथमिक क्षेत्र को अक्सर "आधारभूत क्षेत्र" के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह अन्य सभी क्षेत्रों के लिए आधार प्रदान करता है। यह क्षेत्र भोजन, कच्चे माल और ऊर्जा का उत्पादन करता है जो अन्य क्षेत्रों के लिए आवश्यक हैं।

द्वितीयक क्षेत्र

द्वितीयक क्षेत्र में वे सभी आर्थिक गतिविधियाँ शामिल हैं जो प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त कच्चे माल को मूल्यवर्धित उत्पादों में बदलने से संबंधित हैं। इस क्षेत्र में शामिल प्रमुख गतिविधियाँ हैं:

  • उद्योग
  • निर्माण
  • निर्माण
  • उत्पादन
  • निर्यात
द्वितीयक क्षेत्र को अक्सर "औद्योगिक क्षेत्र" के रूप में भी जाना जाता है। यह क्षेत्र कच्चे माल को मूल्यवर्धित उत्पादों में बदलता है। यह क्षेत्र आर्थिक विकास और रोजगार का एक प्रमुख स्रोत है।

तृतीयक क्षेत्र

तृतीयक क्षेत्र में वे सभी आर्थिक गतिविधियाँ शामिल हैं जो उत्पादन के अतिरिक्त अन्य सेवाएं प्रदान करती हैं। इस क्षेत्र में शामिल प्रमुख गतिविधियाँ हैं:

  • व्यापार
  • परिवहन
  • संचार
  • वित्त
  • पर्यटन
  • सेवाएं

तृतीयक क्षेत्र को अक्सर "सेवा क्षेत्र" के रूप में भी जाना जाता है। यह क्षेत्र उत्पादन के अतिरिक्त अन्य सेवाएं प्रदान करता है। यह क्षेत्र आर्थिक विकास और रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है।

भारत की अर्थव्यवस्था

भारत की अर्थव्यवस्था को एक मिश्रित अर्थव्यवस्था के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है जिसमें प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र सभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत की अर्थव्यवस्था प्राथमिक क्षेत्र पर काफी निर्भर है, जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 17% योगदान देता है। कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिक क्षेत्र है, जो GDP का लगभग 15% योगदान देता है। द्वितीयक क्षेत्र GDP का लगभग 32% योगदान देता है, जिसमें निर्माण, विनिर्माण और खनन प्रमुख क्षेत्र हैं। तृतीयक क्षेत्र GDP का लगभग 51% योगदान देता है, जिसमें व्यापार, सेवाएं और वित्त प्रमुख क्षेत्र हैं।

प्रकृति के आधार पर अर्थव्यवस्थाओं का वर्गीकरण एक उपयोगी तरीका है कि हम विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियों को समझ सकें। यह वर्गीकरण हमें अर्थव्यवस्थाओं के बीच समानताएं और अंतरों को पहचानने में भी मदद करता है।


समष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था

समष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था के समग्र व्यवहार का अध्ययन करता है। यह राष्ट्रीय आय, रोजगार, मुद्रास्फीति, व्यापार और आर्थिक विकास जैसे कारकों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह उपभोक्ता व्यवहार, निवेश, उत्पादन, रोजगार, मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और आर्थिक विकास जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करती है।समष्टि अर्थशास्त्र के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांतों में शामिल हैं:

  • माँग और पूर्ति का सिद्धांत
  • राष्ट्रीय आय और उत्पादन का सिद्धांत
  • मुद्रास्फीति का सिद्धांत
  • बेरोजगारी का सिद्धांत
  • आर्थिक विकास का सिद्धांत


व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था

व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था के व्यक्तिगत इकाइयों के व्यवहार का अध्ययन करता है। यह उपभोक्ताओं, उत्पादकों, व्यवसायों और सरकारों के निर्णयों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह उपभोक्ताओं, फर्मों, श्रमिकों और सरकारों जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करती है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांतों में शामिल हैं:

  • उपभोक्ता व्यवहार का सिद्धांत
  • उत्पादन का सिद्धांत
  • रोजगार का सिद्धांत
  • मूल्य का सिद्धांत
  • वितरण का सिद्धांत


समष्टि और व्यष्टि अर्थशास्त्र के बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं:

  • दृष्टिकोण: समष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था के समग्र व्यवहार को देखता है, जबकि व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था के व्यक्तिगत इकाइयों के व्यवहार को देखता है।
  • विषय: समष्टि अर्थशास्त्र राष्ट्रीय आय, रोजगार, मुद्रास्फीति, व्यापार और आर्थिक विकास जैसे कारकों पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि व्यष्टि अर्थशास्त्र उपभोक्ताओं, उत्पादकों, व्यवसायों और सरकारों के निर्णयों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • उपकरण: समष्टि अर्थशास्त्र सांख्यिकीय मॉडल और विश्लेषण का उपयोग करता है, जबकि व्यष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धांत और विश्लेषण का उपयोग करता है।


समष्टि अर्थशास्त्र का उपयोग आर्थिक विकास और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नीतियों के विकास के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, भारत सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सड़कों, रेलवे और बुनियादी ढांचे के अन्य क्षेत्रों में निवेश करने पर जोर दिया है |

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